First discuss with HR the reason behind the request for this undated cheque. There certainly must be a reason behind this request.
Also go through the agreement you signed with the organization, whether submission of an undated cheque is mentioned or not.
Looking at your query it seems you are not confident you will be completing your bond period in your current organization so look out for exit clause also.
However, never submit an cheque with fake signatures or get yourself trapped in a cheque bounce case. Legal action can be taken on you by your company.
First of all, have a word with your HR and get clarity why is this cheque needed by them accordingly take the next step.
From India, Delhi
Also go through the agreement you signed with the organization, whether submission of an undated cheque is mentioned or not.
Looking at your query it seems you are not confident you will be completing your bond period in your current organization so look out for exit clause also.
However, never submit an cheque with fake signatures or get yourself trapped in a cheque bounce case. Legal action can be taken on you by your company.
First of all, have a word with your HR and get clarity why is this cheque needed by them accordingly take the next step.
From India, Delhi
Hi
Signing of the "indemnity bond" is just one part of the story. It is what you committed to the company. Take an unbiased view of the Company's commitment to you. If they are sticking to their commitments (which may be any of these - pay hike, promotion, special training, specific project, extra ordinary opportunity etc) then you have no reason not comply with your commitments. Just "feeling" that you dont 'like' the job is a mere excuse.
Kindly weigh the 'contract terms and conditions' and commitments met more professionally and then arrive at a conclusion.
Thanks
From India, Rohtak
Signing of the "indemnity bond" is just one part of the story. It is what you committed to the company. Take an unbiased view of the Company's commitment to you. If they are sticking to their commitments (which may be any of these - pay hike, promotion, special training, specific project, extra ordinary opportunity etc) then you have no reason not comply with your commitments. Just "feeling" that you dont 'like' the job is a mere excuse.
Kindly weigh the 'contract terms and conditions' and commitments met more professionally and then arrive at a conclusion.
Thanks
From India, Rohtak
Thanks for the update and quick reply. I'll be sure to keep an eye on this thread. Looking for the same issue. Bumped into your thread. Thanks for creating it <a href="https://1v1-battle.com/">1v1 battle</a>
From Vietnam, Hanoi
From Vietnam, Hanoi
First you read the agreement: What is the purpose of agreement and what is the conditions that the employee should submit a undated cheque.
Unless we read the clause no one can able to guide you. Contact a good lawyer to take his guidance.
Personally I am against this giving undated cheque.
So think it over or put the conditions that state in the agreement for the undated cheque.
Because even in Company contract when a bank guarantee is asked for to give advance, we write that the value of this Guarantee stand reduced to the extend the Contractor submitted an Invoice for work done and thereby showing the % percentage of deduction that an Amount on work carried is deducted thereby given deduction. So in any given event the value of this Bank Guarantee stand reduced by the Invoice of submission for work executed by the contractor and handed over to the client.
So we are safe that even after having recovered they cannot claim full value of the Bank Guarantee.
Therefore, please let us know the clause that stipulate submission of undated Cheque and when it will be returned to employee.
From Saudi Arabia
Unless we read the clause no one can able to guide you. Contact a good lawyer to take his guidance.
Personally I am against this giving undated cheque.
So think it over or put the conditions that state in the agreement for the undated cheque.
Because even in Company contract when a bank guarantee is asked for to give advance, we write that the value of this Guarantee stand reduced to the extend the Contractor submitted an Invoice for work done and thereby showing the % percentage of deduction that an Amount on work carried is deducted thereby given deduction. So in any given event the value of this Bank Guarantee stand reduced by the Invoice of submission for work executed by the contractor and handed over to the client.
So we are safe that even after having recovered they cannot claim full value of the Bank Guarantee.
Therefore, please let us know the clause that stipulate submission of undated Cheque and when it will be returned to employee.
From Saudi Arabia
एक नियोक्ता Employment Bond की शर्तों को कर्मचारी पर कब लागु कर सकता है?
इन स्थतियों में एक नियोक्ता Bond की शर्तों को कर्मचारी पर लागु कर सकता है –
जब Employer ने कर्मचारी की ट्रेनिंग तथा उसके Improvement के लिए कुछ पैसे व्यय किये हो।
जब कर्मचारी निश्चित समय से पहले कंपनी छोड़ना चाहता हों।
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
अगर आपके Employer ने आपकी ट्रेनिंग पर किसी भी प्रकार का कोई खर्चा नहीं किया है तो वो आप पर कंपनी छोड़ते समय किसी भी प्रकार की कोई Penalty नहीं लगा सकता। अगर Employer ऐसा करता है तो यह एक प्रकार का फ्रॉड है।
अब हम ये चर्चा करेंगे कि कोर्ट ने इन 3 मुख्य Negative Covenants के बारे में किस प्रकार के नियम जारी कर रखे है –
समय से पहले इस्तीफा
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
Sicpa India Limited तथा ‘श्री मानस प्रतिम देब’ के बीच एक मामला हुआ जब कंपनी ने कहा कि कर्मचारी को 2,00,000 रूपये की Penalty देनी होगी क्योंकि 36 महीने काम करने का एग्रीमेंट था तथा कर्मचारी 2 साल बाद ही कंपनी छोड़ रहा है।
कोर्ट ने कंपनी से पूछा कि आपने कर्मचारी की ट्रेनिंग पर कितने रूपये खर्च किये है? इस पर कंपनी ने बताया कि उन्होंने 67,595 रूपये खर्च किये है। कोर्ट का निर्णय कर्मचारी के पक्ष में था तथा चूँकि कर्मचारी ने कंपनी में 2 साल तक काम किया था इसलिए कर्मचारी को केवल 22,532 रूपये कंपनी को Penalty के रूप में देने होंगे।
इससे हमें यह बात समझ में आती है कि भले ही Bond में कितनी भी राशि की बात की गई हो, एक कर्मचारी उतनी ही राशि Penalty के रूप में देगा जितना उसकी ट्रेनिंग पर कंपनी द्वारा खर्च किया गया है। कंपनी एक Bond पर ज्यादा राशि का वर्णन Long-term को देखते हुए करती है।
तथा चूँकि कंपनी द्वारा कर्मचारी को दी गई ट्रेनिंग कंपनी के लिए ही लाभकारी थी। इसलिए कोर्ट ने एक उचित राशि भुगतान करने का आदेश दिया भले ही Bond में कितनी भी राशि का जिक्र हो।
पद छोड़ने के बाद की बाध्यता
इस प्रकार की भी अनेक स्थतियाँ बनती है। उदाहरण के रूप में Tico Services तथा ‘Mr Kaushik Pal Chowdhary’ के बीच मामले में भी कोर्ट ने फैसला कर्मचारी के पक्ष में सुनाया। कंपनी ने कर्मचारी को कंपनी छोड़ने के बाद उसी सेक्टर की कंपनी में काम नहीं करने के लिए बाध्य करने वाला एक एग्रीमेंट साइन किया था लेकिन कोर्ट ने साफ साफ कह दिया कि कोई भी कंपनी किसी कर्मचारी को इस प्रकार से बाध्य नहीं कर सकती।
इसी प्रकार के अनेक मामले देखने को मिलते है जिनके बारे में जानने के लिए आप हमारे यूट्यूब वीडियो को देख सकते है जिसका लिंक नीचे दिया गया है।
गोपनीयता Clause
अगर Sales Sector का कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ने के बाद कंपनी का डाटा किसी अन्य कंपनी के साथ साझा करता है तो यह कानूनी रूप से गलत है क्योंकि कंपनी ने आपको आपके काम के लिए भुगतान भी तो किया था।
Head Hunters के CEO ‘Kris Lakshmikanth’ कहते है कि एक निश्चित समय के लिए ही यह नियम लागु होना चाहिए तथा उसके बाद कर्मचारी पहले वाली कंपनी का डाटा अन्य कंपनियों के लिए या अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
एक कर्मचारी Bonds के विरूद्ध कैसे अपनी आवाज उठा सकता है
अगर आप अपनी कंपनी में किसी प्रकार के उत्पीड़न का सामना कर रहे है या आपका Employer आपको अपनी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर कर रहा है या आपसे अनुचित तरीके से पैसों की मांग की जा रही है तो आइये कुछ कानुनी बातों को समझते है जो आपकी सहायता कर सकती है –
एक प्राचीन भारतीय प्रतिमा के अनुसार आज के जमाने में बंधुआ मजदूरी का कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात कोई भी Employer आपको किसी फिक्स Contract या Bond के तहत काम पर नहीं रख सकता।
भारतीय संविधान का आर्टिकल 19 व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की बात करता है जिसके अनुसार कोई भी Contract या Bond किसी व्यक्ति को स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने से रोक नहीं सकता। अगर ऐसा होता है तो यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जिस पर कोर्ट सख्ताई बरतेगा।
भारतीय अनुबंध अधिनियम के अनुसार कोई भी एकतरफा Bond पूर्णतः अवैध है तथा उसका कोई मतलब नहीं है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 368 में कहा गया है कि अगर कोई Employer किसी कर्मचारी के दस्तावेजों को जब्त करके कर्मचारी को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचने की कोशिश करता है तो Employer को 2 या इससे ज्यादा सालों का भी कारावास हो सकता है।
निष्कर्ष
हम कह सकते है कि अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी की ट्रेनिंग पर अगर पैसा खर्च कर रही है तो या तो कर्मचारी को एक निश्चित समय के लिए कंपनी में अपनी सेवाएं देनी पड़ेगी या फिर जुर्माना के रूप में उचित राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
अगर आपका Employer आपको किसी प्रकार की धमकी दे रहा है या आपसे अनुचित पैसों की वसूली कि कोशिश कर रहा है या आपके कागजात जब्त करके आपसे कोई अनुचित मांग कर रहा है तो आपको तुरंत इसकी शिकायत सम्बंधित अधिकारीयों से करनी चाहिए।
From India
इन स्थतियों में एक नियोक्ता Bond की शर्तों को कर्मचारी पर लागु कर सकता है –
जब Employer ने कर्मचारी की ट्रेनिंग तथा उसके Improvement के लिए कुछ पैसे व्यय किये हो।
जब कर्मचारी निश्चित समय से पहले कंपनी छोड़ना चाहता हों।
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
अगर आपके Employer ने आपकी ट्रेनिंग पर किसी भी प्रकार का कोई खर्चा नहीं किया है तो वो आप पर कंपनी छोड़ते समय किसी भी प्रकार की कोई Penalty नहीं लगा सकता। अगर Employer ऐसा करता है तो यह एक प्रकार का फ्रॉड है।
अब हम ये चर्चा करेंगे कि कोर्ट ने इन 3 मुख्य Negative Covenants के बारे में किस प्रकार के नियम जारी कर रखे है –
समय से पहले इस्तीफा
आइये एक उदाहरण से इसको समझते है –
Sicpa India Limited तथा ‘श्री मानस प्रतिम देब’ के बीच एक मामला हुआ जब कंपनी ने कहा कि कर्मचारी को 2,00,000 रूपये की Penalty देनी होगी क्योंकि 36 महीने काम करने का एग्रीमेंट था तथा कर्मचारी 2 साल बाद ही कंपनी छोड़ रहा है।
कोर्ट ने कंपनी से पूछा कि आपने कर्मचारी की ट्रेनिंग पर कितने रूपये खर्च किये है? इस पर कंपनी ने बताया कि उन्होंने 67,595 रूपये खर्च किये है। कोर्ट का निर्णय कर्मचारी के पक्ष में था तथा चूँकि कर्मचारी ने कंपनी में 2 साल तक काम किया था इसलिए कर्मचारी को केवल 22,532 रूपये कंपनी को Penalty के रूप में देने होंगे।
इससे हमें यह बात समझ में आती है कि भले ही Bond में कितनी भी राशि की बात की गई हो, एक कर्मचारी उतनी ही राशि Penalty के रूप में देगा जितना उसकी ट्रेनिंग पर कंपनी द्वारा खर्च किया गया है। कंपनी एक Bond पर ज्यादा राशि का वर्णन Long-term को देखते हुए करती है।
तथा चूँकि कंपनी द्वारा कर्मचारी को दी गई ट्रेनिंग कंपनी के लिए ही लाभकारी थी। इसलिए कोर्ट ने एक उचित राशि भुगतान करने का आदेश दिया भले ही Bond में कितनी भी राशि का जिक्र हो।
पद छोड़ने के बाद की बाध्यता
इस प्रकार की भी अनेक स्थतियाँ बनती है। उदाहरण के रूप में Tico Services तथा ‘Mr Kaushik Pal Chowdhary’ के बीच मामले में भी कोर्ट ने फैसला कर्मचारी के पक्ष में सुनाया। कंपनी ने कर्मचारी को कंपनी छोड़ने के बाद उसी सेक्टर की कंपनी में काम नहीं करने के लिए बाध्य करने वाला एक एग्रीमेंट साइन किया था लेकिन कोर्ट ने साफ साफ कह दिया कि कोई भी कंपनी किसी कर्मचारी को इस प्रकार से बाध्य नहीं कर सकती।
इसी प्रकार के अनेक मामले देखने को मिलते है जिनके बारे में जानने के लिए आप हमारे यूट्यूब वीडियो को देख सकते है जिसका लिंक नीचे दिया गया है।
गोपनीयता Clause
अगर Sales Sector का कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ने के बाद कंपनी का डाटा किसी अन्य कंपनी के साथ साझा करता है तो यह कानूनी रूप से गलत है क्योंकि कंपनी ने आपको आपके काम के लिए भुगतान भी तो किया था।
Head Hunters के CEO ‘Kris Lakshmikanth’ कहते है कि एक निश्चित समय के लिए ही यह नियम लागु होना चाहिए तथा उसके बाद कर्मचारी पहले वाली कंपनी का डाटा अन्य कंपनियों के लिए या अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
एक कर्मचारी Bonds के विरूद्ध कैसे अपनी आवाज उठा सकता है
अगर आप अपनी कंपनी में किसी प्रकार के उत्पीड़न का सामना कर रहे है या आपका Employer आपको अपनी कंपनी में काम करने के लिए मजबूर कर रहा है या आपसे अनुचित तरीके से पैसों की मांग की जा रही है तो आइये कुछ कानुनी बातों को समझते है जो आपकी सहायता कर सकती है –
एक प्राचीन भारतीय प्रतिमा के अनुसार आज के जमाने में बंधुआ मजदूरी का कोई अस्तित्व नहीं है अर्थात कोई भी Employer आपको किसी फिक्स Contract या Bond के तहत काम पर नहीं रख सकता।
भारतीय संविधान का आर्टिकल 19 व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की बात करता है जिसके अनुसार कोई भी Contract या Bond किसी व्यक्ति को स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने से रोक नहीं सकता। अगर ऐसा होता है तो यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जिस पर कोर्ट सख्ताई बरतेगा।
भारतीय अनुबंध अधिनियम के अनुसार कोई भी एकतरफा Bond पूर्णतः अवैध है तथा उसका कोई मतलब नहीं है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 368 में कहा गया है कि अगर कोई Employer किसी कर्मचारी के दस्तावेजों को जब्त करके कर्मचारी को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचने की कोशिश करता है तो Employer को 2 या इससे ज्यादा सालों का भी कारावास हो सकता है।
निष्कर्ष
हम कह सकते है कि अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी की ट्रेनिंग पर अगर पैसा खर्च कर रही है तो या तो कर्मचारी को एक निश्चित समय के लिए कंपनी में अपनी सेवाएं देनी पड़ेगी या फिर जुर्माना के रूप में उचित राशि का भुगतान करना पड़ेगा।
अगर आपका Employer आपको किसी प्रकार की धमकी दे रहा है या आपसे अनुचित पैसों की वसूली कि कोशिश कर रहा है या आपके कागजात जब्त करके आपसे कोई अनुचित मांग कर रहा है तो आपको तुरंत इसकी शिकायत सम्बंधित अधिकारीयों से करनी चाहिए।
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