हमारा खून हैं शामिल यहाँ की मिटटी में,
किसी के भी बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है |
अगर खिलाफ हैं तो होने दो, जान थोड़ी है |
ये सब धुआँ है , कोई आसमान थोड़ी है |
लगेगी आग तो आएंगे घर तमाम उसमे,
यहाँ पे सिर्फ हमारा ही मकान थोड़ी है |
मै जानता हूँ दुश्मन भी कम नहीं, लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है |
हमारे मुँह से जो निकला, वो इतिहास बन गया,
हमारे मुँह में कोई तुम्हारी जुबान थोड़ी है |
जो आज साहेब-ए-मुल्क हैं, वो कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं बस, कोई जात्ती मकान थोड़ी है |
हमारा खून हैं शामिल यहाँ की मिटटी में,
किसी के भी बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है |
जनाब राहत इन्दोरी
जय हिन्द .... वन्देमातरम ....
किसी के भी बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है |
अगर खिलाफ हैं तो होने दो, जान थोड़ी है |
ये सब धुआँ है , कोई आसमान थोड़ी है |
लगेगी आग तो आएंगे घर तमाम उसमे,
यहाँ पे सिर्फ हमारा ही मकान थोड़ी है |
मै जानता हूँ दुश्मन भी कम नहीं, लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है |
हमारे मुँह से जो निकला, वो इतिहास बन गया,
हमारे मुँह में कोई तुम्हारी जुबान थोड़ी है |
जो आज साहेब-ए-मुल्क हैं, वो कल नहीं होंगे,
किराएदार हैं बस, कोई जात्ती मकान थोड़ी है |
हमारा खून हैं शामिल यहाँ की मिटटी में,
किसी के भी बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है |
जनाब राहत इन्दोरी
जय हिन्द .... वन्देमातरम ....
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